दुनिया को आदीवासीयो कुछ सीखना चाहिए
आदिवासी अंचल के किसान ने अपनी मेहनत से बेटों को बनाया क़ाबिल
पिता से मिले संस्कारों की बदौलत बेटा सवार रहा हज़ारों ग़रीब बच्चों का भविष्य
बैतूल, देशबन्धु ।
जीवन में माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन पिता की भूमिका दिखाई भले ही कम दे लेकिन उस भूमिका के बगैर हमारा जीवन ही अधूरा रह जाएगा। यूँ तो ऐसे लाखों पिता होंगे जिन्होंने अथक परिश्रम और त्याग करके अपने बच्चों का जीवन संवारा होगा लेकिन आज हम बात करेंगे बैतूल के एक आदिवासी शख्स की जिन्होंने नंगे पांव घूम घूम कर लोगों की सेवा की। खुद कभी सुख सुविधाओं का लालच नहीं किया लेकिन अपने चार बेटों को इतना काबिल बना दिया कि वो अपने और समाज के लिए कुछ कर सकने काबिल बन गए।
तो ये कहानी है वैतूल के चिचोली ब्लॉक के छोटे से गांव असाढ़ी निवासी मन्नासिंह धुर्वे की जिनका मूल पेशा जड़ी बूटियों के माध्यम से लोगों का इलाज करना है। सुनने में ये एक सामान्य बात लगती है लेकिन ऐसा नहीं है।
मन्नासिंह धुर्वे जड़ी बूटियों के जानकार होने के बावजूद लोगों का निःशुल्क इलाज करते आ रहे हैं और खेती मजदूरी करके अपनी गुजर बसर करते रहे हैं। मन्नासिंह के चार बेटे हैं जिनके लालन पालन में मन्नासिंह ने अपना पूरा जीवन झोंक दिया। पिछले 40 साल से मन्नासिंह गाँव गाँव घूमकर लोगों को मुफ्त जड़ी बूटियां देते आए हैं
और इस सेवा के बदले उन्होंने कभी किसी से एक रुपया नहीं लिया। कभी कभी तो वो मीलों पैदल चलकर पीड़ितों तक पहुंचे और इलाज किया। रही बात घर खर्च चलाने की तो उसके लिए मन्नासिंह अपने और दूसरों के खेत खलिहानों में मजदूरी करते थे
जिससे होने वाली सारी आय उन्होंने अपने बेटों की पढ़ाई पर खर्च की । मन्नासिंह की इस कड़ी मेहनत और अच्छे संस्कारों का नतीजा था कि आज उनका सबसे बड़ा बेटा पुश्तैनी खेती संभालता है वहीं दूसरा बेटा ग्राम जीन के सरकारी स्कूल में शिक्षक है। तीसरा बेटा बैतूल में पटवारी है वहीं सबसे छोटा बेटा राजा धुर्वे तो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
बैतूल के प्रसिद्ध मेडिटेक केरियर इंस्टिट्यूट के संचालक राजा धुर्वे मन्नासिंह के बेटे हैं और लगातार गरीब जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं।
राजा धुर्वे ने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्नातकोत्तर की पढ़ाई ना करते हुए दूसरे बच्चों का भविष्य संवारने की दिशा में कदम रखा और आज उनके इंस्टिट्यूट से नर्सिंग नीट की पढ़ाई करके हज़ारों छात्र एक नई राह पर निकल रहे हैं। राजा धुर्वे बताते हैं कि आज वो जो कुछ भी हैं उसके पीछे उनके पिता की ही सबसे बड़ी भूमिका है। पिताजी ने जो कुछ कमाया वो बेटों की शिक्षा पर ही खर्च किया और हमेशा दूसरों की सेवा करने की सीख देते रहे। राजा के मुताबिक आज भी उनके पिता मन्नासिंह लोगों का इलाज करने जाते हैं और काफी सक्रिय रहते हैं। वहीं एक समय घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी जिसका पिताजी ने हम पर असर नहीं होने दिया।
वे हमेशा हमारी छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करते रहे लेकिन हमे कभी ये नहीं बताया कि इसके लिए उन्होंने कितना त्याग किया होगा । राजा कहते हैं कि आज हमारे पास ईश्वर की कृपा से सारी सुविधाएं हैं लेकिन ये सुविधाए हमारे पिता के आशीर्वाद और त्याग से ही हासिल कर पाए हैं। पिता के इस बलिदान को मरते दम तक नहीं भुला सकते।
इस तरह हमने देखा कि मन्त्रासिंह जैसे ना जाने कितने पिता होंगे जिन्होंने राजा जैसे होनहार बेटे को बनाने में अपना जीवन लगा दिया। ऐसे सभी पिताओं को हम आज बहुत बहुत साधुवाद देते हैं और और उम्मीद करते हैं कि समाज का हर सफल व्यक्ति ये बात हमेशा याद रखे कि आज वो जो कुछ भी हैं उसमें उनके पिता ने कितना बेशकीमती योगदान दिया होगा। सभी पिताओं को पित्र दिवस यानी फादर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं।
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