दुनिया को आदीवासीयो कुछ सीखना चाहिए आदिवासी अंचल के किसान ने अपनी मेहनत से बेटों को बनाया क़ाबिल पिता से मिले संस्कारों की बदौलत बेटा सवार रहा हज़ारों ग़रीब बच्चों का भविष्य बैतूल, देशबन्धु । जीवन में माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन पिता की भूमिका दिखाई भले ही कम दे लेकिन उस भूमिका के बगैर हमारा जीवन ही अधूरा रह जाएगा। यूँ तो ऐसे लाखों पिता होंगे जिन्होंने अथक परिश्रम और त्याग करके अपने बच्चों का जीवन संवारा होगा लेकिन आज हम बात करेंगे बैतूल के एक आदिवासी शख्स की जिन्होंने नंगे पांव घूम घूम कर लोगों की सेवा की। खुद कभी सुख सुविधाओं का लालच नहीं किया लेकिन अपने चार बेटों को इतना काबिल बना दिया कि वो अपने और समाज के लिए कुछ कर सकने काबिल बन गए। तो ये कहानी है वैतूल के चिचोली ब्लॉक के छोटे से गांव असाढ़ी निवासी मन्नासिंह धुर्वे की जिनका मूल पेशा जड़ी बूटियों के माध्यम से लोगों का इलाज करना है। सुनने में ये एक सामान्य बात लगती है लेकिन ऐसा नहीं है। मन्नासिंह धुर्वे जड़ी बूटियों के जानकार होने के बावजूद लोगों का निःशुल्क इलाज करत...
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