*🌾🌞🥦द्विजों की पाखंड भरी होली के विपरीत प्रकृति के साथ उल्लास का पर्व है कोइतूरों का “शिमगा सग्गुम”🥀🌷🍁* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ “शिमगा सग्गुम” भारत में होली का मूल स्वरुप और वैज्ञानिक अवधारणा शायद ही कोई जानता हो। सूर्या बाली बता रहे हैं कि यह कोइतुरों का शिमगा सग्गुम पर्व हैं, जो वास्तव में हिंदुओं का नहीं बल्कि कोइतूरो का शुद्ध कृषि प्रधान त्यौहार है, जिसके पीछे एक विज्ञान भी है प्राचीन भारत (जिसे कोयामुरी द्वीप या जंबू द्वीप कहते थे) में पशुपालन और कृषि कार्य जीवन का आधार था। आज भी भारत की अर्थव्यवस्था में यह सबसे महत्वपूर्ण अवयव है। इसका असर समाज में भी दिखता है। प्रमाण यह कि तमाम पर्व-त्यौहारों की पृष्ठभूमि कृषि और पशुपालन से जुड़ी है। हालांकि विकास के क्रम में इन त्यौहारों में कई विकृतियाँ आने लगी, जिसके चलते बहुत सारे अप्राकृतिक कथाएँ, किस्से-कहानियाँ जुड़ती गईं। फलस्वरूप वास्तविक त्यौहारों का स्वरूप बदलता गया। लेकिन आज भी मध्य भारत के हिस्से में रहने वाले कोइतूरों (कोया वंशी) में अपने पारंपरिक त्यौहारों को आर्यों के सांस्कृतिक प्रदूषण से बचाए रखने में कामयाब हैं। कोइतूर को...
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