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कोणार्क मंदिर को गोंड शासकों ने बनवाया

कोणार्क मंदिर को गोंड शासकों ने बनवाया अजय नेताम कोणार्क मंदिर उड़ीसा के प्रवेश द्वार पर हाथी पर सिंह सवार (गजाशोहुम) गोंडवाना का राज चिन्ह है, इस मंदिर को आंध्रप्रदेश विजयनगरम के चार देव गंग वंशी नेताम गोंड राजा नरसिंह देव ने बनवाया है। रावेण (निलकंठ) गणडचिन्ह धारक यदुराय का शासन काल जनरल कनिधाम के अनुसार 382 ई., वार्ड के अनुसार 158 ई. स्लीमेन के अनुसार 358 ई. और रूपनाथ ओझा के अनुसार 158 ई. है। एकलौते इतिहासकार जिन्होंने सिंधु यदुराय बाहर पहरा दे रहे थे, उसी लिपी (सिंधु सभ्यता) को गोंडी में पढ़ समय उनके सामने से हाथियों का झुंड के बताया और बाद में उसपर एक भागते हुए निकला, झुंड के सबसे किताब सिंधु लिपी का गोंडी में आखिरी हाथी में एक सिंह सवार था उद्घाचन भी निकाला) के अनुसार जो उसका शिकार कर रहा था। गोंडी इतिहासकार डॉ मोतीरावण कंगाली (दुनिया के पहले और शायद यदुराय पहले राजा रतनसेन कछुआ यदुराय जीववादी, प्रकृतिवादी और गणड़चिनह धारक के यहां नौकरी बहुत ही बुद्धिमान सैनिक था जब यदुराय करता था, एक बार राजा रतनसेन ने ई. सं. 358 में राज्य सत्ता संभाली शिकार करने जंगल गये तो रात होने त...

गिन्नौरगढ़ दुर्ग और रानी कमलापति सलाम गोंडवाना का पूरा इतिहास

गोंडवाना साम्राज्य के गिन्नौरगढ़ दुर्ग के इतिहास के बारे में जानकारी बताऊंगा कहनी------- गोंडवाना के रियासत में गिन्नौर गढ़ किले का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था जिसे गोंड वंश के महाराज उदय वर्धन सहा सलाम ने बनवाया था इसके बाद यहां पर निरंतर गोंडो का शासन था जो जो 18वीं शताब्दी तक चला गिन्नौरगढ़ दुर्ग में 17 वी शताब्दी के समय राजा निजाम शाह सलाम का शासन था राजा निजाम शाह सलाम की 7 पत्नियां थी जो इन में से सातवीं पत्नी थी वह बहुत सुंदर सुशील और खूबसूरत थी जिनका नाम रानी कमलापति सलाम थी गिन्नौरगढ़ भोपाल शहर से पूर्व की ओर 55 किलोमीटर दूर  रायसेन जिले में स्थित है जिसके कारण निजाम शाह सलाम के भतीजे जिनका नाम चैन सिंह साह सलाम था उन्होंने अपने चाचा को बहुत बार जान से मारने की कोशिश की लेकिन मार नहीं सका तो उन्होंने नया जाल रचा फिर उन्होंने दावत में बुलाकर उन्हें जहर देकर मार दिया निजाम शाह सलाम की मृत्यु के पश्चात रानी कमलापति खतरे में आ चुकी थी इन्होंने अपने आपको बचाने के लिए और अपने पुत्र नवल साह सलाम को बचाने के लिए कुछ समय गि...