अध्याय २ रा पारी कुपार मुठवापोय लिंगो का बचपन “कुपार लिंगो मुठवानी पुलशीव हिर्बानोर मर्री। कोया मानवान सीतोनी सगा पुनेमता चोकसरी ॥ तादो नीवोर पुर्राशी पुर्वाकोट आंदु नीवा नार। पुरार भिड़ी नीवाये हद उम्मोगुट्टा कोर गुडार ।। " लिंगो मुठवा सुमरी मन्तेर (४) अर्थ – हे कुपार लिंगो गुरूबाबा ! तुम पुलशीव- हीर्बा माता के पुत्र हो । कोया वंशीय गण्डजीवों को तुमने सगा पुनेम का मार्ग प्रदान किया है। तुम्हारे दादाजी का नाम पुर्राशी है जो पुर्वाकोट गण्डराज्य के गण्डप्रमुख है और तुम्हारा वंश उम्मोगुट्टा कोर संभाग में स्थित पुर्वाकोट का पुरार भिड़ी है। कोयामूरी दीपता सिरडी सिंगार। पेण्डूर मट्टाता परसापेन गुडार ।। पोंगसी वासी मत्ता कोया पुंगार। मुठवा पुटसी वातोर पहांदी कुपार ।। कोया पुनेमी नालटुका (५) अर्थ – कोयामूरी दीप के सीरडी सिंगार में पेण्डूर पर्वत से बहनेवाली परसापेन गंगा में एक कोया पुंगार बहता हुआ आया, जिसके कारण हे पहांदी कुपार लिंगो तुम्हारा जन्म हुआ। रे–रेना- रेना-रेना-ए, रे–रेना- रेना-रेना-ए। पुर्वाकोट पोसतोर पोयाले, केंजा नावोर दाऊ केंजा ए। पुराशी कोकू आसी हत्तोरे, केंजा नावोर दाऊ केंजा...
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