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ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं. :-.दुनिया का सब से बडा खुलासा*

* दुनिया का सब से बडा खुलासा* *ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं* ABP News report स्विटजरलैंन्ड जेनेवा वैज्ञानिक शोध संस्था ने कल यह खुलासा किया है कि दुनिया किसी ईश्र्वर ने नहीं बनाई है, बल्कि *कवाकॅ लेबोनेन* नाम के कणों से निर्मित हुई है, जिसकी वजह से *ब्रह्मांड* यानि कि दुनिया निर्मित हुई है, दुनिया बनाने वाला इस कण की शोध को वैज्ञानिक दुनिया की सबसे बडी शोध बताते हैं । यह खोज 1980 से शुरू की थी जिसमें विश्र्व भर के वैज्ञानिकों की टीम कार्यरत थी, जिसमें भारत से *बलदेव राज डावर* नामक वैज्ञानिक भी शामिल थे और महा वैज्ञानिक *हीग बोशन* भी शामिल थे, उन्होंने यह परीक्षण दो बार किया और नतीजा एक जैसा ही आया और सिद्ध किया कि *कवाकॅ लेबेनोन* नाम के कणों ने एक प्रचंड शक्ति से पृथ्वी, जल, हवा, सूरज, चांद, पेंड पौधे स्वयं निर्मित किए है, इसके पीछे कोई ईश्वर का करिश्मा या चमत्कार नहीं है । हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आज से 2500 साल पहले *तथागत बुद्ध* ने बताया था कि दुनिया स्वयं संचालित है, इसको चलाने वाला कोई नहीं है, लेकिन बुद्ध की वैज्ञानिक बातों को दबाकर सभी धर्मों ने काल्पनिक ईश्वरीय स्वर्ग/नर्क क...

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Tribes TV    "The Gondwana(Tribes TV)"  इस चैनल में आपका हार्दिक स्वागत है इस चैनल में आदिवासीयो से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम,उनकी संस्कृति रहन-सहन,खान-पान,बोली-भाषा, गोंडवाना और गोंडी कल्चर से संबंधित जानकारी एवं गोंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गोन्डी भाषा सीखने तथा आदीवासीयो से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी आपके साथ शेयार किया जाएगा। और आप सभी से निवेदन है कि आप मेरे चैनल को बढ़ाने के लिए सहयोग करे।                                              इस चैनल को "💐 लाइक,कमेंट,& शेयर 💐 " करे                                                    इस चैनल को 💐 सब्सक्राइब 💐 करे                                           ...

राजा प्रवीर चंद भंजदेव : स्मृति दिवस 25 मार्च राजा प्रवीर चंद भंजदेव

राजा प्रवीर चंद भंजदेव : स्मृति दिवस 25 मार्च राजा प्रवीर चंद भंजदेव राजा प्रवीर चंद भंजदेव : स्मृति दिवस 25 मार्च (25.6.1929--25.3.1966) आदिवासियों के राजा, जिन्हें गोलियों से भून दिया गया आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए, उन्हें उजाड़ना कोई नई बात नहीं है। यह आजादी के बाद ही शुरू हो गया था।  छत्तीसगढ़ के बस्तर के इलाके में इसका सबसे पहले विरोध आदिवासियों के राजा प्रवीर चंद भंजदेव ने किया। उन्हें उनके साथियों सहित गोलियों से भून दिया गया। ऐसा नहीं है कि आदिवासियों द्वारा मुख्यधारा में शामिल होने का प्रयास कभी हुआ ही नही। संविधान निर्माण सभा में डॉ. जयपाल सिंह मुंडा शामिल थे। कार्तिक उरांव, करिया मुंडा, शिबू सोरेन से होते हुए हीरा सिंह मरकाम तक, यह कोशिश जारी रही।  आदिवासियों ने और आदिवासियों के रहनुमाओं की ओर से जब–जब इस दिशा में यह कोशिश की गई, तब-तब उनके साथ विश्वासघात किया गया अथवा जान से मार दिया गया।  आदिवासियों द्वारा   न्याय के लिए संघर्ष का इतिहास शुरू से ही रक्त-रंजित रहा है। नए रंग और देश की आजादी व रियासतों के विलय से...

रानी दुर्गावती ना पिसवार (रानी दुर्गावती जीवनी )

रानी दुर्गावती ना पिसवार (रानी दुर्गावती जीवनी ) *गोंडवाना शासनकाल की वीरांगना महारानी दुर्गावती जी का संपूर्ण जीवन परिचय पहली बार संजू वाडीवा के द्वारा गोंडी भाषा में आप भी पढ़ें और जानें* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 *रानी दुर्गावती ना पिसवार (रानी दुर्गावती जीवनी ) Biography of Rani Durgavati*      *रानी दुर्गावती ता जनेआयना संयुंग येरोमान पसयूं नूर रन्नालू(5 अक्टूबर सन 1524 )ते महोबा ते आसी मत्ता. दुर्गावती ना बाबो महोबा तोर राजाल मत्तोर. रानी दुर्गावती बने, ऐंनकिये बेससॉभाव, सबैते एवं हिम्मतवारे टूड़ी मत्ता. महारानी दुर्गावती कालिंजर तोर राजाल कीर्तिसिंह चंदेल ना उंठले संतान मत्ता। बांदा जिला ता कालिंजर किला ते पसयूं नूर रन्नालू (1524 ईसवी) ता दुर्गाष्टमी ते जनेआयना ता लयताल अदुना पुरोल दुर्गावती र इर्रतुर। बाहुन पुरोल आहुने तेज, हिम्मतवारे, शौर्य अनी बनेदिस्सीना ता लयताल लइदुना जाहराआयना चंफेर फैलेआसित। दुर्गावती ता मायको अनी सोसरार पटी ता जात दीगर मत्ता अखर फेर बी दुर्गावती ता जाहराआयना ताल खिंचेआसी गोण्डवाना राज्य तोर राजाल संग्राम शाह मडावी नुर अपुना मर्री दलपत शाह ...

अमर शहीद नानक जी भील की शहादत पर कोटि कोटि सादर नमन

*अमर शहीद नानक जी भील की शहादत पर कोटि कोटि सादर नमन* *अमर शहीद नानक भील का जन्म 1890 में बराड़ के धनेश्वर गांव में हुआ । इनके पिता का नाम भेरू भील था । यह बचपन से ही बहादुर निडर साहसी और एक जागरुक व्यक्ति रहे । नानक भील गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन से काफी प्रभावित रहे । इन्होंने अपने क्षेत्र में आम किसानों जनता को अपने अधिकारों और अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए जागरूकता बड़ाई। नानक भील ने अपने क्षेत्र में झंडा गीतों के माध्यम से अंग्रेजों का विरोध किया और अपने क्षेत्र के आम लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया । यह अपने झंडा गीतों के माध्यम से लोगों में एक नया उत्साह भर देते थे ।* *13 जून 1922 में डाबी गांव में किसानों की बैठक रखी गई थी वहीं पर अचानक से अंग्रेज पुलिस ने आकर फायरिंग कर दी और इस गोलाबारी से महा आम किसानों में भगदड़ मच गई लेकिन नानक भील ने झंडा लहराते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और झंडा गीत गाते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और इसी दौरान वहां पुलिस ने नानक भील को सीने पर गोली मारी और इस प्रकार भारत देश का एक वीर सपूत शहीद हो...

आदिवासी कौन है? क्या है? इनका धर्म क्या है?

**आदिवासी कौन है? क्या है? इनका धर्म क्या है?* 👉बहुत से मित्र हमसे सवाल करते हैं कि आदिवासी कौन है? जब **आदिवासी हिंदू नहीं है न* मुसलमान है न बौद्ध है न सिख है न ईसाई है तो आखिर ये आदिवासी है कौन?  **चलिए जानते हैं विस्तार से,* **कृपया इस पोस्ट को पूरा पढें* 👇👇👇👇👇👇 👉 **आदिवासी कौन है-आदिवासी* *कोई जाति या कोई* *धर्म नहीं है*। आदिवासी उन जातियों का समूह है जो भारत में अनादि काल से निवास कर रहे हैं, जैसे - मुंडा, संथाल, गरासिया, भील, भिलाला, गोंड, हल्बा, कंवर, कोकणी, अंध, ठाकर, पारधी, प्रधान, भूमिया, महादेव कोली, इत्यादि आदिम जाति के **समूह को "आदिवासी" कहा जाता है।* 👉 **आदिवासी क्या है-* **आदिवासी शब्द आदि + वासी दो* शब्दो का बना है जिसका अर्थ अनादि काल से भौगोलिक स्थान पे वास करने वाला व्यक्ति, समूदाय, मूलवासी/आदिवासी ऐसा होता है। वास्तव में देखा जाए तो आदिवासी कोयतूर जन है जिन्हें बाहरी दुनिया के लोगों ने मतलब विदेशी लोगों ने इन कोयतूर जनों को आदिवासी नाम दिया। कोयतूर जन कोयामूरी द्वीप में रहने वाले लोगों को कहा गया है। **आज आदिवासीयों के कई नाम* है जो लोगो नें केव...

*गुरू -ज्ञान-गनतव्य-बिना -हमारी शिक्षा व संस्कृति अधूरी हैं।।

*गुरू -ज्ञान-गनतव्य-बिना -हमारी शिक्षा व संस्कृति अधूरी हैं।।* 🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜 हम केवल पुस्तक पढकर शिक्षित हुऐ है-लेकिन मित्रों हमारे समाज के साहित्य हमको पुनः पढना पडेगा,तो ही आने वाले पीढी को हम कुछ दे पायेगे।।हमे निम्न साहित्यों का अध्ययन करना पडेगा। ----------------000-------------------- *पढोगे तो जानोगे-जानोगे तो मानोगे* (1)-भारत का संविधान। (2)-पारी कुपार लिंगो गोंडी पुनेम दर्शन। (3)-भारतीय मूल के प्राचीन गौरव-महाराजा बलि ओर उसका वंश। (4)-माता पिता की सेवा का सुखद परिणाम। (5)-मूलनिवासियों की रक्षा करने वाला रक्षराज महाराजा रावण को मत जलाओं। (6)-आदीवासी हिन्दू नही हैं। (7)-बस्तर हत्याकांड1966 महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव की शहादत। (8)-कोयान्ट पुनेम पुयसावरी ता गढ(कोया-भाषा-धर्म-संस्कृति का जन्म स्थल)। (9)-गोंडवाना संस्कृति -दर्शन। (10)-कोयामर्री गोण्डी पल्लो करियाट। (11)-रूढीप्रथा ,अनासकाल से आदिवासियों की परम्पराऐ-स्वशासन एवं ऐतिहासिक संवैधानिक जानकारी। (12)परम पराक्रमी-राक्षसराज रावण । (13)-गणतंत्र के जनक कोयतूर (गोंड)। (14)-अंट्रासिटी अक्ट-अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण। (15...