सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

About us :-

Tribes TV 

 "The Gondwana(Tribes TV)" 

इस चैनल में आपका हार्दिक स्वागत है इस चैनल में आदिवासीयो से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम,उनकी संस्कृति रहन-सहन,खान-पान,बोली-भाषा, गोंडवाना और गोंडी कल्चर से संबंधित जानकारी एवं गोंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गोन्डी भाषा सीखने तथा आदीवासीयो से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी आपके साथ शेयार किया जाएगा। और आप सभी से निवेदन है कि आप मेरे चैनल को बढ़ाने के लिए सहयोग करे। 

                                            इस चैनल को "💐 लाइक,कमेंट,& शेयर💐 " करे 
                                                  इस चैनल को💐 सब्सक्राइब 💐करे 

                                                        *** 💐 धन्यवाद 💐 ***

My youtube channel :-  click here

pic of me and my  Nephew
Me and my nephew


 ANIL EVNE

 From At Rengadhana, Post Barangwadi, teh Amla, Dist Betul(pin code 460554)

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गोंड जनजाति :- भारतीय आदिवासियों का सबसे बड़ा समुदाय

 1. उत्पत्ति और वितरणः गोंड लोग भारत के सबसे बड़े स्वदेशी समुदायों में से एक हैं। माना जाता है कि उनका एक लंबा इतिहास है और माना जाता है कि वे गोंडवाना क्षेत्र से उत्पन्न हुए हैं, इस तरह उन्हें अपना नाम मिला। वे मुख्य रूप से भारत के मध्य और पश्चिमी हिस्सों में रहते हैं, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में। 2. भाषाः गोंड लोग मुख्य रूप से गोंडी भाषा बोलते हैं, जो द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है। हालाँकि, पड़ोसी समुदायों के साथ विभिन्न प्रभावों और बातचीत के कारण, कई गोंड लोग हिंदी, मराठी, तेलुगु आदि क्षेत्रीय भाषाओं में भी धाराप्रवाह हैं। 3. संस्कृति और परंपराएँः कला और शिल्पः गोंड कला गोंड संस्कृति की एक विशिष्ट विशेषता है। इसकी विशेषता जटिल प्रतिरूप, जीवंत रंग और प्रकृति, जानवरों और दैनिक जीवन के चित्रण हैं। इस कला को भारत के भीतर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। संगीत और नृत्यः गोंड लोगों में संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपरा है। उनके गीत और नृत्य अक्सर प्रकृति, कृषि और अनुष्ठानों के साथ उनके संबं...

कोणार्क मंदिर को गोंड शासकों ने बनवाया

कोणार्क मंदिर को गोंड शासकों ने बनवाया अजय नेताम कोणार्क मंदिर उड़ीसा के प्रवेश द्वार पर हाथी पर सिंह सवार (गजाशोहुम) गोंडवाना का राज चिन्ह है, इस मंदिर को आंध्रप्रदेश विजयनगरम के चार देव गंग वंशी नेताम गोंड राजा नरसिंह देव ने बनवाया है। रावेण (निलकंठ) गणडचिन्ह धारक यदुराय का शासन काल जनरल कनिधाम के अनुसार 382 ई., वार्ड के अनुसार 158 ई. स्लीमेन के अनुसार 358 ई. और रूपनाथ ओझा के अनुसार 158 ई. है। एकलौते इतिहासकार जिन्होंने सिंधु यदुराय बाहर पहरा दे रहे थे, उसी लिपी (सिंधु सभ्यता) को गोंडी में पढ़ समय उनके सामने से हाथियों का झुंड के बताया और बाद में उसपर एक भागते हुए निकला, झुंड के सबसे किताब सिंधु लिपी का गोंडी में आखिरी हाथी में एक सिंह सवार था उद्घाचन भी निकाला) के अनुसार जो उसका शिकार कर रहा था। गोंडी इतिहासकार डॉ मोतीरावण कंगाली (दुनिया के पहले और शायद यदुराय पहले राजा रतनसेन कछुआ यदुराय जीववादी, प्रकृतिवादी और गणड़चिनह धारक के यहां नौकरी बहुत ही बुद्धिमान सैनिक था जब यदुराय करता था, एक बार राजा रतनसेन ने ई. सं. 358 में राज्य सत्ता संभाली शिकार करने जंगल गये तो रात होने त...

"#पिट्टे" मतलब #गोंडी लैग्वेज में *चिड़िया " ... गोंडी लैग्वेज में गीत के लिए शब्द है "#पाटा" और " कहानी" के लिए शब्द है "#पिट्टो" .... अर्थात जो प्रकृति की कहानी बताती है वह जीव "पिट्टे" कहलाता है

GBBC:- The Great Backyard Bird Count-2022   (18 से 21 फरवरी 2022 तक)  "#पिट्टे" मतलब #गोंडी लैग्वेज में *चिड़िया " ... गोंडी लैग्वेज में गीत के लिए शब्द है "#पाटा" और " कहानी"  के लिए शब्द है "#पिट्टो" .... अर्थात जो प्रकृति की कहानी बताती है वह जीव "पिट्टे" कहलाता है....        है न रोचक... ऐसी ही है  पृथ्वी की इस पहली भाषा का रहस्य... ज्ञान से भरपूर है  प्रकृति के पुजारियों हम इण्डीजीनसो की  भाषा.... #पिट्टे याने चिड़िया याने "Birds "  की दुनिया में लगभग 10,000 प्रकार की प्रजाति का होना वैज्ञानिकों के द्वारा बताया गया है इनमें से भारत में लगभग 1300  प्रकार के पाऐ जाते हैं..वंही छत्तीसगढ़ राज्य में भी 400 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाये गये हैं ! . चूकिं  पक्षियो की कुछ प्रजातियों को हम #कोयतोरो(Indigenous) ने टोटम भी बनाया है... पेन पुरखों की तरह पुजनीय भी बनाया है... महान वैज्ञानिक #पहांदी_पारी_कुपार_लिंगों व महान मौसम गणनाकार...