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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पारी कुपार मुठवापोय लिंगो का बचपन

अध्याय २ रा पारी कुपार मुठवापोय लिंगो का बचपन “कुपार लिंगो मुठवानी पुलशीव हिर्बानोर मर्री। कोया मानवान सीतोनी सगा पुनेमता चोकसरी ॥ तादो नीवोर पुर्राशी पुर्वाकोट आंदु नीवा नार। पुरार भिड़ी नीवाये हद उम्मोगुट्टा कोर गुडार ।। " लिंगो मुठवा सुमरी मन्तेर (४) अर्थ – हे कुपार लिंगो गुरूबाबा ! तुम पुलशीव- हीर्बा माता के पुत्र हो । कोया वंशीय गण्डजीवों को तुमने सगा पुनेम का मार्ग प्रदान किया है। तुम्हारे दादाजी का नाम पुर्राशी है जो पुर्वाकोट गण्डराज्य के गण्डप्रमुख है और तुम्हारा वंश उम्मोगुट्टा कोर संभाग में स्थित पुर्वाकोट का पुरार भिड़ी है। कोयामूरी दीपता सिरडी सिंगार। पेण्डूर मट्टाता परसापेन गुडार ।। पोंगसी वासी मत्ता कोया पुंगार। मुठवा पुटसी वातोर पहांदी कुपार ।। कोया पुनेमी नालटुका (५) अर्थ – कोयामूरी दीप के सीरडी सिंगार में पेण्डूर पर्वत से बहनेवाली परसापेन गंगा में एक कोया पुंगार बहता हुआ आया, जिसके कारण हे पहांदी कुपार लिंगो तुम्हारा जन्म हुआ। रे–रेना- रेना-रेना-ए, रे–रेना- रेना-रेना-ए। पुर्वाकोट पोसतोर पोयाले, केंजा नावोर दाऊ केंजा ए। पुराशी कोकू आसी हत्तोरे, केंजा नावोर दाऊ केंजा...

The Gondi गोंडी लिपि , गोंडी भाषा The Gondi language In india

The Gondi language alphabet   

पहांदी पारी कुपार लिंगो किये गये कार्य

गोंड समुदाय में प्रचलित कथासारों के अनुसार पहादी पारी कुपार लिंगो का गोंडी पुनेम प्रचार कितना और कहां तक हो चुका था इसका प्रमाण मिलता है। पारी कुपार लिंगो के अनुयायियों की संख्या सर्व प्रथम मण्डुन्द कोट (नीस) थी जिस भूभाग पर उसके अनुयायियों ने गोंडी पुनेम का प्रचार किया था उसे कोयमूरी द्वीप कहा जाता था। कोयमूरी दीप के कुल चार संभाग थे (१) उम्मोगुट्टा कोर (२) अफोकागुट्टा कोर, (३) सईमालगुट्टा कोर और (४) येरूगुट्टा कोर गोंडी पुनेमी मूठ लिंगो मंत्रों से उक्त कोयमूरी दीप के चार संभागों में पुर्वाकोट, मुर्वाकोट, हर्वाकोट, अमूरकोट, सिर्वाकोट, वर्वाकोट, नवकोट, सर्वाकोट, येरगुडाकोट, पेंडूरकोट, पतालकोट, चीतेरकोट, आदिलकोट, लंकाकोट, सुडामकोट, परंदूलकोट, कीरंदूलकोट, साबूरकोट, सियालकोट, सुमेरकोट, उमेरकोट, सिनारकोट, मीनारकोट आदिगण्डराज्य और नरालमादाल, जवाराल, महादाल, सोनगोदाल, मयान, पेनगोदा, वेनगोदा, पेन्कटोडा, गोंदारी, खोबरी, संभूर, मागोडगूरी भारेट, टागरी, उटगरी, पनीर, पेनाल आदि नदियां, उम्मोली सिंथाली, बिंदरा, कजोली, रोमरोमा, भिमागढ़, आऊटबंटा, निलकोंडा, सयमंडी, सिवाडी, पुल्ली मेट्टा, पेडूममेट्टा, ब...

गोंडी पुनेम दर्शन का अभिप्राय

अभिप्राय पारी कुपार लिंगो गोंडी पुनेम दर्शन एक शोषपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक लिखने के लिये लेखक विरु मोतीरावण कंगाली ने काफी मेहनत की है। उन्होंने प्राचीन ग्रंथ किताबें, मासिक पत्रिकाएं, गोंड समुदाय के विभिन्न संगठनों के प्राचीन पत्रक पारंपारिक लोक गीत, धार्मिक जनश्रुतियों का बहुत ही गहराई से अध्ययन किया है। इसी तरह गोंड समुदाय के धार्मिक स्थल जैसे पेन्कमेडी, अमूरकोट, सेमरगाव, कचारगढ़, बाजागढ़, भिमगढ़, केसलागुडा, मेडाराम आदि जगह जाकर उस परिक्षेत्र में निवास करनेवाले लोगों से मिलकर विभिन्न धार्मिक और सामुदायिक पर्वों पर गाये जानेवाले गीतों का संकलन कर उनके माध्यम से इस ग्रंथ को लिपिबद्ध किया है। लेखक को गोंडी, अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी, तुल्लु, तोडा, मालतो, कोलामी आदि भाषाओं की अच्छी जानकारी होने से और स्वयं समाज शास्त्र, नृतत्व शास्त्र एवं भाषा विज्ञान के जानकार होने के कारण इस ग्रंथ को सुबबद्ध रूप से लिखने में वे कामयाब हो सके। आजतक मैंने गोंड सगा समुदाय पर जो भी लिखित साहित्य एवं किताबें पढ़ी | उसमें पारी कुपार लिंगो के विषय में सविस्तर रूप से जानकारी नहीं मिली। आर्यों के | आगमन पूर्व क...

गोंडी पुनेम की प्रस्तावना

अध्याय 1 प्रस्तावन कोया वंशीय गोंड सगा समुदाय में गोंडी पुनेम से संबंधित जो कथासार एवम् मिथक मुंह जबानी प्रचलित है उस आधार पर गोंडी पुनेम की स्थापना कब और कौन से युग में की गई है इसका हम मोटे तौर पर आवश्यक अनुमान लगा सकते हैं गोंडी पुनेम कथा सारों के अनुसार कि इस पूनेम की संस्थापक कोयापारी पहांदीकुपार लिंगो मुठवापोय द्वारा संभू सेख कार्यकाल में की गई है शंभू सेठ याने शंभू महादेव जिसका योग इस देश में आर्यों के आगमन होने से पूर्व का माना जाता है  गोंडी भाषा में शंभू सेख का अर्थ 5 खंड धरती का स्वामी ऐसा होता है उसी तरह गोंडी पुणेमी मान्यता के अनुसार सतपुड़ा के पेंकमेड़ी /(पंचमढ़ी) कोट से इस पांच खंड धरती पर एक के पश्चात दूसरा ऐसे कुल 88 संभू सेखो ने अपने अधिसक्ता चलाई है शंभू से एक-एक उपाधि है जिससे 5 खंड धरती के राजा या स्वामी को संबोधित किया जाता है उस उक्त सभी संभू सेको की उपासना कोया वंशीय गोंड समुदाय के लोग शंभू माताओं के रूप में आज भी करते हैं शंभू मा दाव इस गोडी शब्द का अर्थ शंभू हमारा पिता ऐसा होता है जिस से शंभू महादेव ऐसा शब्द बना है सभी संभव अपने अर्धांगिनीयों की जोड़ी से ह...