गोंडवाना लैंड
गोंडवाना लैंड विषववृतत् पर होने से उस पर सूर्य की किरण सीधी लब आकार में पहुंचती है। इसलिए वहां अधिक तापमान और कम दबाव का क्षेत्र पैदा होकर सबसे पहले बारिश हुई जिसे गोंडवाना लैंड में जिवो का सबसे पहले विकास।
नर्मदा घाटी जावा, सुमात्रा, रोडो रहोडेशिवा क्रोम न्यान और ग्रीमाल्डी ईस जगहों में आदिमानव के अवशेष मिले हैं यह सभी क्षेत्र गोंडवाना लैंड में है।
नर्मदा घाटी के क्षेत्र में जो मानव अवशेष प्राप्त हुए हैं वैसे अवशेष पृथ्वी पर कहीं भी प्राप्त नहीं हुए।
हिमालय पर्वत का निर्माण आज से 7 करोड वर्ष पूर्व हुआ जहां से सतलुज, यमुना, गंगा, तथा ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम हुआ है।
जबकि मध्य भारत के अमरकंटक (अमुरकोट यानी कभी ना डूबने वाले कोट)
पर्वत का उद्गम 33 करोड़ वर्षीय पुरवा हुआ है जहां से नर्मदा की जलधारा निकली है इसलिए हिमालय क्षेत्र की तुलना में नर्मदा के किनारे ही सबसे पहले प्राचीन मानव सभ्यता निर्माण हुई जहां से उसका अन्य क्षेत्रों में विस्तार हुआ
जीव निर्मिति के सबसे बेहतर हालात आज के अफ्रीका महाद्वीप में थी और अफ्रीका महाद्वीप उस वक्त भारत में जुड़ा हुआ था।
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के तीन वैज्ञानिकों को इथियोपिया के हाथों में मिले तीन खूब परियों से भी यह स्पष्ट होता है कि सबसे पहले जो उत्पत्ति अफ्रीका में हुई।
यह खोपड़ी या 160000 वर्ष पुरानी है। तीनों खोपड़ी या एक दूसरे से 200 मीटर के अंतर पर पाई गई
पुरानी मानो डीएनए वंशावली पूर्वी अफ्रीका की है इस वंशावली में उल्लेखनीय नाम है सेंड भी दे दूंगी गौरवा और दतोग।
इन मानव जाति के लोग ताजा मियां में निवास करते थे दरअसल बुरुंगी और गौरव व नामक समूह तो पिया से ताजा निया में आकर बसे थे वैज्ञानिकों का कहना है इथोपिया में ही सबसे पहले आधुनिक मानव ने जन्म लिया
लेकिन नर्मदा घाटी की सभ्यता गोंड सभ्यता है ।
गोंड आदि पुरुष फरावेन सईलानगरा(आदि बुजुर्ग नर- मादा) की उत्पत्ति अमरकंटक होने से ही इस क्षेत्र की नदी को नर्मदा यानी नर -मादा-नाम पड़ा है।
गोंडी भाषा में पेरियोर यानी लड़का और पेरी यानी लड़की होता है।
इसीलिए कोया वंशीय गोंड समुदाय खुद को रावेन वंशी भी कहते हैं
द्रविड़ भाषा है जो कालांतर में मूल गोंडी भाषा से विकसित हुई है।
इन्हें चार समूहों में विभाजित किया गया है।
१) द्रविड़ भाषा समूह २) मध्यवर्ती भाषा समूह ३ ) आंध्र भाषा समूह (तेलुगु ई ) ४) पश्चिमी तरी (बाहु) भाषा समूह।
आज गोंडी भाषा का विस्तार नर्मदा से गोदावरी सतपुड़ा तथा विद्या चल पर्वत के मात्र हजारों मील क्षेत्र में फैला रहा गया है
गोंडी भाषा का अर्थ भाव मध्यवर्ती समूहों में होता है।
इसमें १) गोंडी २) ओराओ ३) कुई ४) कंधी तथा ५) कोलामी भाषाओं का अर्थ भाव होता है
तमिल द्रविड़ की एक भाषा है। तमी का अर्थ शब्दकोश में रात है। "रात" नाम का सर्प होता है
तो तमी का अर्थ भी सर्प सुवा।
मान मरमट को वृहद पर्यावाची कोश मैं दरवी शब्द मिला जो फल के पर्यायवाची शब्द के रूप में आया है।
नालंदा विशाल शब्द सागर में दरवी शब्द का अर्थ सांप का फन बताया गया है
द्रविड़ नाम का सांप मध्य प्रदेश के उज्जैन व हरदा भाग में पाया जाता है।
दक्षिण के लोग अपने आपको नाक की बजाए द्रविड़ नाम से इसलिए पुकारते हैं क्योंकि द्रविड़ यह नाम का प्राचीन पर्यायवाची शब्द है जबकि नाग यह शब्द वेद कालीन है
नाग मूल निवासियों ने तमिल का उपयोग करना छोड़ दिया जबकि दक्षिण भारत के नागों ने तमिल का उपयोग करना जारी रखा
नेपाल में कर्कोटक नाग तथा कश्मीर में नील नाग की पूजा की जाती है
हिमालय के क्षेत्र की कई भाषाओं में किरा या किरी का अर्थ सर्प होता है।
हड़प्पा की भी पहले अत्यंत प्राचीन काल में नाक संस्कृति का विस्तार ईरान तक हो चुका था
नागराजा अत्यंत शक्तिशाली और साहसी होते थे तथा उनके शासन के पीछे नाक का फल होता था इसी बात से यह कहावत बनी है कि जिसके सिर पर नाक का फल होता है वह अत्यंत पराक्रमी होता है उसे कोहीं परास्त नहीं कर सकता
🌹🌹🙏मंगला ताई🙏🌹🌹
👉 वरिष्ट समाज सेविका🙏
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