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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गोंडवाना की एक और विस्मृत धरोहर / KHEDLA KILAA

GARH KHEDLA KA ITIHAS गोंडवाना की एक और विस्मृत धरोहर का पता चला । बेतुल शहर से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व दिशा में गोंडवाना के 52 महत्त्वपूर्ण गढ़ों में से एक गढ़ खेरला का भ्रमण करने का सुअवसर मिला ।यह क़िला रावणवाड़ी ऊर्फ खेडला ग्राम के पास स्थित है। खेरला (खेडला)सूबा बरार के अंदर आने वाला प्रमुख गढ़ था । आज इस क़िले की बदहाली और जर्जर अवस्था देख के आँखों में आँसू आ गए । कभी अपने वैभव और समृद्धि के लिए जाना जाने वाला क़िला अपनी दुर्दशा पर चीख़ चीख़ कर आँसू बहा रहा है । आज जब क़िले के भीतर प्रवेश किया तो सोचने लगा कि क्या कोई देश और प्रदेश अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को ऐसे ही नष्ट होने देता है ? विश्व प्रसिद्ध इतिहासकार टोलमी के अनुसार वर्तमान बैतूल ज़िला अखण्ड भारत का केन्द्र बिन्दु था। इस बैतूल में 130 से 160 ईसवी तक कोण्डाली नामक गोंड राजा का राज्य था। गोंड राजा- महाराजाओं की कई पीढिय़ो ने कई सदियो तक खेरला के क़िले पर राज किया। खेरला का क़िला किसने बनवाया ये ठीक ठीक ज्ञात नहीं है लेकिन इतिहासकारों ने एक गोंड राजा इल का वर्णन किया है जिसका शासन बेतुल से अमरवती तक फैला था। 15वीं...

history of betul / बैतूल जिले का इतिहास

बैतूल जिले का इतिहास, अंधेरे प्रागैतिहासिक युग से लेकर सातवीं शताब्दी ईस्वी तक का इतिहास पूर्ण अंधकार में डूबा हुआ है।  न तो जिले में प्रागैतिहासिक काल के किसी भी उपकरण, मिट्टी के बर्तनों, रॉक-पेंटिंग या आभूषण की खोज की गई है, न ही इसके किसी भी स्थान का एक भी संदर्भ नैतिक और पौराणिक साहित्य के विशाल संस्करणों में खोजा जा सकता है।  हालांकि, आसपास के सभी क्षेत्रों में पुरापाषाण, सूक्ष्मपाषाण और नवपाषाण उद्योगों के साक्ष्य से, यह सुरक्षित रूप से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह जिला भी अस्तित्व के इन सभी चरणों से गुजरा है।  शिलालेखों के वितरण से संकेत मिलता है कि अशोक के साम्राज्य ने भारत के प्रमुख हिस्से को अपनाया, सिवाय दक्षिण के राज्यों को छोड़कर।  यह स्वाभाविक रूप से मगध साम्राज्य के दायरे में बैतूल जिले को शामिल करेगा, हालांकि इस जिले के संबंध में इसका कोई साहित्यिक या अभिलेखीय प्रमाण नहीं है।  मगध साम्राज्य के विघटन के बाद शुंग वंश ने शासन किया।  187 से 75 ईसा पूर्व तक पुराने मौर्य साम्राज्य का मध्य भाग। कालिदास के मालविकाग्निमित्र में कहा गया है कि इस श...

चैम्पियंस सामान्य कामों को भी तेज गति से करते हैं

अनंत ऊर्जा चैम्पियंस सामान्य कामों को भी तेज गति से करते हैं  FB MP Education News Group                      चैम्पियंस दूसरों से कुछ अलग या अनोखा नहीं करते। वे सामान्य चीजें ही इतनी तेज गति से करते हैं कि उन्हें ये करने से पहले सोचना नहीं पड़ता। उनकी गति ऐसी होती है कि विपक्षी को प्रतिक्रिया देने का समय ही नहीं मिल पाता। चैम्पियंस इस तेज गति को अपनी आदत बना लेते हैं और फिर जो करते हैं, इसी आदत के अनुसार करते हैं। आदतें तीन चरणों वाला चक्र होती हैं संकेत, क्रिया और इनाम। यहां संकेत का अर्थ किसी विशेष स्थान, समय अथवा प्रक्रिया से है, जिससे हमारी क्रिया जुड़ी होती है। उदाहरण के तौर पर कॉफी पीने का आदि व्यक्ति यदि की दुकान के सामने से निकलता है तो उसका मन कॉफी पीने का होने लगता है  यहां संकेत है कॉफी की दुकान कॉफी क्रिया है, दुकान तक पहुंचना और इनाम है, कॉफी पीने के बाद मिलने वाला आनंद संकेत और इनाम समान रखकर केवल क्रियाओं को परिवर्तित किया जाए तो आदतों में बदलाव लाया जा सकता है। विभिन्न अध्ययनों से स्पष्ट हो चुका...