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"गोंड"शब्द की उत्पत्ति तथा संरचना :

   *गोंड /गोंडी /पारसी से संबंधित रोचक बातें आप भी पढ़ें और जानें* "गोंड"शब्द की उत्पत्ति तथा संरचना : ___________अलग अलग लेख है,क्या सही हैं,क्या ग़लत है,आइए पढ़कर तर्क करते हैं।•••••• रसायनशास्त्र में सांकेतिक भाषाका अधिकतर उपयोग किया जाता है। जैसे:-H2O= पाणी,निर,येर अर्थ-Hydrogen का 'H'दो-तत्व Oxygen के 'O'एक तत्व के साथ मिलकर पाणी के कारण निर्माण करते है। उसी प्रकार 'गोंड'शब्द का यौगिक अर्थ है। इस शब्द का विच्छेद करने पर कारक तत्वोंका जो स्वरूप मिलता है,वह इस प्रकार है : गोंड=ग+अ+उ+न+ड,यह पञ्चतत्व ! 'ग'=गगन-आकाश(Open Space), 'अ'=आँधी/तूफानी हवा(Air,Wind),  'उ'=ऊष्मा/तापशक्ति(Energy,Heat), 'न'=नीर/ जल(water,Liquid),  'डी'=डीह/थाना/दाई -माई की धरती माता (Earth,Surface,Solid) संरचना देखिये।  ऊपरी तत्व क्रमवार बदलते है।  'ग',खुला आकाश-कोई भी तत्व खुली जगह के बिना रह नहीं सकता ! किसी भी कण के न्यूनतम अंश हो या पृष्टभाग,खुली जगह आवश्यक होती ही है ! 'अ',आँधी -जब तक श्वसन क्रिया सक्रीय है प्राणी का जी...

आखाड़ी पूर्णिमा_खुट गोंगो (पुजा)

* #आखाड़ी पूर्णिमा_खुट गोंगो (पुजा) #*  जानिए....मानिए                (हमारी धरोहर_पुरखा संस्कृति) legend guru of the  gondwana                   कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव खुट पूजा (गोंगो) यह त्योंहर आषाढ़ माह की पुर्णिमा को मनाते है। खुट इस गोंडी शब्द का अर्थ शक्ति ऐसा होता है। प्रकृति की जितनी भी शक्तियाँ है, उन सभी की उपासना को खुट पूजा  कहा जाता है। उनकी मान्यता के अनुसार प्रकृति ऐसी अद्भुत है कि उसमे जितने भी सत्व है वे सभी शक्ति रुप है। उनकी सहायता के बिना मनुष्य जिवन दुभर हो जाता है। अत: उन सभी सत्वो की निरंतर प्राप्त होती रहे इसलिए गोंडी पुनेम दर्शन मे उन सभी की सेवा तथा उपासना करना यह प्रत्येक गण्डजीव का कर्तव्य है। अन खुट, धन खुट,  गण्ड खूट, माई खूट, मरा खुट, वेली खूट,  चिडी खूट,  मिच्चो खूट, जाई खूट,  तोडी खूट, मोडी खूट, कासो खुट, येर खूट, वडी खूट,  खडोरा खूट,  भन्ठा खूट, धन्ठा खूट, तारा खूट, मारा खूट, मूला खूट, अहेदा खूट, महेदा खूट, ...